यदि चाह रहे हो
---:भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
यदि चाह रहे हो तुम
कि मुझे अनवरत
मिलता रहे
सबका सहयोग आशीर्वाद
तो मैं कहूंगा
तुम बस इतना ही रखो याद
कि जब कभी तुम्हें
दिख जाएं बुढ़े या बड़े
तो उनका सम्मान करो
आगे बढ़ होकर खड़े
आदर सहित करते फरियाद
फिर देखोगे तुम
वो देगें तुम्हें अकस्मात
ढेरों आशीष की सौगात
फूलो फलो खुब बढ़ो
तरक्की करो दिन-रात
कभी न दुःख हो न विषाद
जब अपनाओगे अभिवादन
कोमल व्यवहार मधुर वचन
मिलने लगेगा तुम्हें
सुंदर सुखमय श्रेष्ठ जीवन
वह भी बिना श्रम निर्विवाद
बढ़ेगी विद्या और आयु
बढ़ेगा यश और बल
मिलेगा संबल अचल अटल
मिट जायेगी सारी विपत्ति
वह भी बिना किए आपत्ति
चाहे हो जितनी बड़ी तादाद
बुजुर्ग हैं अनुभव की खान
इतना जरूर रखना ध्यान
वो जीवन का सूत्र बताएंगे
सुप्त जीवन के भाग्य सजाएंगे
देकर तुम्हें दाद
आज से सीखो सदाचार
मृदुल व्यवहार उत्तम आचार
मानव जीवन का आधार
शिक्षा,सेवा,संयम,सहकार
जीवन का उद्देश्य बना लो
शांति,सहयोग,परिसंवाद
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वलिदाद, अरवल (बिहार) ८०४४०२.संपर्क --- ८३४०७८१२१७.
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