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केवल बोलना ही काफी नहीं है,

केवल बोलना ही काफी नहीं है,

जो बोली मन को भाये और खुश करे,
उसी बोली का कुछ अर्थ है।
फिर चाहे कोई जितना बोलें,
जितना भी ज्ञान सिखायें,
दिल को लगता सब ही व्यर्थ है।
बोली मुख से बोली जाती है,
पर उसमें दिल की आवाज होती है।
दिल की आवाज अगर कोई ना समझे,
तोआंसू तो केवल आंखों से निकलता है,
पर वास्तव में आत्मा रोती है।
दिल की आवाज कोई वस्तु नहीं है,
जो तराजू पर तौल कर निकले।
वह तो एक दर्द है, पीड़ा है, अहसास है,
जो अनायास ही निकल जाता है।
वह तो यह सोचता ही नहीं की,
कौन इसकी कद्र करेगा, परवाह करेगा,
या फिर यह किसको कैसा भाता है ।
एक दिन ऐसा आता है,
वाणी पर विराम लग जाता है।
दिल की बातें दिल में दबी रह जाती हैं,
प्राण पखेरू उड़ कर चला जाता है।
जय प्रकाश कुवंर
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