लोग अपना नशा में चूर बाटे,
केहू के केहू ना सुनत बा।अइसन जमाना आ गइल बा जे,
केहू छोट बड़ ना गुनत बा।।
सबे सबका मुंह लागत बाटे,
केहू काका चाचा ना चिन्हत बा।
रसरी नियर झगड़ा बर के,
हाडा बिर्हंनी नियर बिन्हत बा।।
अटिदार पटिदार घर में झगड़ा लगा के,
खुब मजा लेत बा।
लोटा थरिया पहिले बंटात बा,
फिर बंटत घर खेत बा।।
जे लोग उसकावल, से हित बनल,
भाई भाई में अब ना बनत बा।
खाइन पियन आपस में छुटल,
दोसरा के साथ में खुब छनत बा।।
लगता जे अब इ जमाना,
कवनो घर ना छोड़ी।
घर घर में फुट पड़ जाई,
हर घर में भाई से भाई मुंह मोड़ी।।
जय प्रकाश कुवंर
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