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न्याय और समझौता: दोनों तराजू

न्याय और समझौता: दोनों तराजू

पंकज शर्मा
मानव जीवन एक सामाजिक संरचना है। हम एक-दूसरे के साथ रहते हैं, काम करते हैं और संबंध बनाते हैं। इस सहअस्तित्व में अक्सर विवाद और मतभेद उत्पन्न होते हैं। ऐसे में न्याय और समझौता ये दो ऐसे शब्द हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


न्याय का दीपक :
न्याय का अर्थ है, सभी को समान अधिकार और अवसर मिलना। जब किसी व्यक्ति के साथ अन्याय होता है, तो उसके मन में असंतोष और क्रोध पैदा होता है। न्याय के अभाव में समाज में अशांति और अराजकता फैल सकती है। न्याय का दीपक एक घर में तो उजाला कर सकता है, लेकिन समाज के लिए स्थायी समाधान नहीं है।


समझौते का दीपक :
समझौता का अर्थ है, विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करना। जब दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों को रखते हुए एक मध्य मार्ग निकालते हैं, तो दोनों ही पक्षों को लाभ होता है। समझौता एक ऐसा दीपक है जो दोनों घरों में उजाला कर सकता है।


न्याय और समझौता :
एक साथ चलना न्याय और समझौता दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। न्याय के बिना समझौता अधूरा रह जाता है और समझौते के बिना न्याय का दीपक केवल एक घर में ही जल सकता है। एक आदर्श समाज में न्याय और समझौता दोनों का संतुलन होना आवश्यक है।


प्रेरणा :
हम सभी को अपने जीवन में न्याय और समझौते का महत्व समझना चाहिए। हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और साथ ही दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए। विवादों के समाधान के लिए हमें हमेशा समझौते का रास्ता अपनाना चाहिए। जब हम न्याय और समझौते के मार्ग पर चलेंगे, तभी हम एक खुशहाल और समृद्ध समाज का निर्माण कर पाएंगे।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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