उसका प्रेम किसलय सा
अंतर बिंदु नव रस लहर,आशा उमंग भरपूर ।
अभिलाष आनंद बिंब,
नैराश्य सदा अति दूर ।
अधर सौम्य मुस्कान भर,
अंतःकरण चंदन मलय सा ।
उसका प्रेम किसलय सा ।।
उर शोभित लक्ष्य बिंदु,
चाह हित अनंत प्रयास ।
अविचल भाव कंटक पथ,
संघर्ष वेदी हर्ष उल्लास।
प्रेयसी सदृश मनहर दर्श,
शब्द अर्थ स्वर वलय सा ।
उसका प्रेम किसलय सा ।।
तज तीर निहार विहार,
उद्याम आभा अंगीकार ।
अदम्य साहस नाविक रूप,
उदधि अपनत्व स्वीकार ।
उरस्थ प्रसूनी कल्पना अल्पना,
प्रीत मद मधुर लय सा ।
उसका प्रेम किसलय सा ।।
निर्वहन जग रीति नीति,
स्वीकार्य हर राह वेदना ।
निशि दिन सुबह शाम ,
स्फूर्तिमय प्रीति चेतना ।
घट पट मनोरम दर्शन संग,
संसर्ग अलौकिक विलय सा ।
उसका प्रेम किसलय सा ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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