नशापान
जिन्दगी में कुछ बनना हो तो,नशापान करना सीख लें।
गंदगी यदि पसंद हो तो,
जर्दा खाना सीख लें।
भीख मांगना ना आए तो,
तम्बाकू खाना सीख लें।
कुछ मांगते हुए शर्म आए तो,
बीड़ी पीना सीख लें।
सभ्य यदि बनना हो तो,
शराब पीना सीख लें।
गैंगस्टर यदि बनना हो तो,
चरस का स्मगलिंग सीख लें।
मित्र मेरा एक ऐसा है,
जो बिना नशा के जीता है।
पर अक्सर शौचालय में,
छिपकर सिगरेट वो पीता है।
दारू, बियर व ह्विस्की के बिना,
हर पार्टी का रंग फीका है।
नशापान तो इस युग का,
बन गया आज एक फैशन है।
अपने बच्चों को श्रीमान् ,
ना किसी नशे का लत लगाएँ ।
भूलकर भी न कभी बच्चों से ,
कोई नशीले पदार्थ मंगवाएँ ।
सुरेन्द्र कुमार रंजन
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