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वंदे मातरम युवा मिशन द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर व्याख्यान एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन

वंदे मातरम युवा मिशन द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर व्याख्यान एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन

गया। चंद्रशेखर जनता कॉलेज चाकंद, गया में वंदे मातरम युवा मिशन द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर व्याख्यान-सह-पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आर. एल. एस. वाई. कॉलेज, गया के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रामसिंहासन सिंह, विशिष्ट अतिथि के रूप में गौतम बुद्ध महिला कॉलेज, गया की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी एवं ए. एम. कॉलेज, गया के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. उमाशंकर सिंह सुमन एवं अभिषेकानंद मिश्रा की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. रामसिंहासन सिंह, डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ. उमाशंकर सिंह सुमन, आरएसएस चाकंद के संरक्षक विनोद प्रसाद, कार्यक्रम संयोजक काशीनाथ यादव, वंदे मातरम युवा मिशन के सदस्य अभिषेकानंद मिश्र, चाकंद +2 उच्च विद्यालय के शिक्षक राहुल कुमार, सुनील कुमार एवं बिहार सरकार द्वारा बाल वैज्ञानिक के रूप में चयनित छात्रा सुश्री नेहा कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन करके तथा माँ भारती की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया। स्वागत सत्र के उपरांत दिनांक 16 दिसंबर को विजय दिवस पर आयोजित भारत को जानो लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को मंचासीन अतिथियों ने पदक तथा पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया।

तत्पश्चात आमंत्रित अतिथि वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं को वीर बाल दिवस को मनाये जाने के पीछे निहित उद्देश्यों से अवगत कराया। डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के पुत्र जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह की धर्म की रक्षार्थ दी गयी शहादत को स्मरण करते हुए देश के सभी बच्चों को, बालक-बालिकाओं, युवक-युवतियों को अपने भीतर वीरता को उमगाने की आवश्यकता है। डॉ रश्मि ने छात्र-छात्राओं को भक्त प्रह्लाद, लव-कुश, बालक भरत, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, महारानी अहिल्याबाई, जोहावर सिंह, फतेह सिंह, विवेकानंद, महर्षि दयानंद जैसे वीर बालक-बालिकाओं की कथा सुनाते हुए कहा कि गलत का विरोध करना और सत्य के साथ खड़े रहना वीरता है, अंधेरे में दीपक की भाँति जलना वीरता है, तमाम विपरीत परिस्थितियों को दरकिनार करते हुए दृढ़ प्रतिज्ञा के साथ एक सकारात्मक लक्ष्य के साथ अपने कर्तव्य पंथ पर आगे बढ़ना वीरता है, स्व से ऊपर उठ कर पर के उपकार हेतु तत्पर रहना वीरता है, अपने अंदर की विकृतियों से लड़ना भी वीरता है। भारत के सभी बालक-बालिकाओं को वीरता के साथ अपने देश तथा समाज के आत्मसम्मान की रक्षा करने हेतु संकल्प लेने की आवश्यकता है। उन्होंने अपनी कविता 'स्वप्नों को आजाद करो' का पाठ करते हुए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। कहा कि "फैलाकर पंख उड़ो नभ में, विहगों-सा निडर निनाद करो। तुम उठो, जगो, निज लक्ष्य प्राप्त कर, स्वप्नों को आज़ाद करो।"

वहीं डॉ. उमाशंकर सुमन ने नचिकेता और ध्रुव की कहानी सुनाते हुए छात्र-छात्राओं को जागते हुए स्वप्न देखने एवं उन्हें पूर्ण करने हेतु प्रयत्न करते रहने की बात कही। तभी सपने साकार हो सकते हैं। डॉ. रामसिंहासन सिंह ने तुलसीदास और रत्नावली के संदर्भों का स्मरण करते हुए अपनी भारतीय संस्कृति का सम्मान करने की बात कही। प्रसिद्ध कहावत "लीक-लीक गाड़ी चलै, लीकहि चले कपूत। यह तीनों उल्टे चलै, शायर, सिंह, सपूत" के माध्यम से उन्होंने बच्चों को अपने लिए नया पथ बनाने.की बात कही। कार्यक्रम में रेशमी, राधा रानी, अंजलि, ममता, नेहा एवं अन्य छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार रखे। सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन अभिषेकानंद मिश्रा एवं कार्यक्रम संयोजन काशीनाथ प्रसाद यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राहुल कुमार ने किया।
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