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यौवन रस अमृत समान

यौवन रस अमृत समान

प्राण प्रिय मान प्रतिष्ठा,
जीवन ज्योति उपमा ।
नयनन पटल नेह वसित,
अंग प्रत्यंग लावण्य रमा ।
रूप श्रृंगार अति कमनीय,
कदम चाह स्पर्श आसमान ।
यौवन रस अमृत समान ।।

मस्त मलंगी दिनचर्या,
मृगनयनी चाल ढाल ।
मोहक कोमल कपोल,
मादकता अनंत उछाल ।
रग रग सौंदर्य अवतरण,
जन स्वर आतुर गुणगान ।
यौवन रस अमृत समान ।।

स्नेहिल सौम्य मुखमंडल,
मनोरम लैंगिक स्पंदन ।
काम रति दर्शन अनुपम,
संवाद पटल प्रीत वंदन।
हाव भाव आमंत्रण संकेत,
स्वीकृति पट मंद मुस्कान ।
यौवन रस अमृत समान ।।

सुखद मंगल स्वप्निल प्रभा,
मधुर मृदुल उर अठखेलियां ।
प्रणय भाषा शब्द अर्थ परे,
संसर्गमय अनूप पहेलियां ।
अथाह प्रवाह शौर्य साहस,
हिय हिलोरित तृप्ति संधान ।
यौवन रस अमृत समान ।।

कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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