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बंद

बंद

सुरेन्द्र कुमार रंजन
चाहे करो तू भारत बंद ,
या फिर करो बिहार बंद।
कुछ भी कर लो बंद मगर ,
ना मिलेगा का तुमको लाभ कभी ।
करना ही है कुछ बंद अगर,
तो बंद करो बेइमानी को।
चलती रही यूं ही बेईमानी,
रोकी न गई उनकी मनमानी ।
तो कोई मरेगा खा-खा कर ,
कोई भूखे ही मर जाएगा।
बंद करना है तो करो बंद,
नेताओं के घोटाले को ।
बंद करना है तो करो बंद,
उग्रवादियों के नरसंहारों को।
बंद कोई समाधान नहीं ,
जीवन की यह व्य‌वधान ही है।
इसलिए मैं कहता हूं यारों,
त्यागो 'बंद' को कुछ काम करो।
करना है जीवन में कुछ भी,
तो त्याग स्वार्थ, परमार्थ करो।
बंद तो एक दिखावा है,
जनता के लिए मात्र छलावा है।



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