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सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला

सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला

अभिज्ञ अनभिज्ञ हर मनुज,
दिशा भ्रम त्रुटि संदेह शिकार ।
प्रेरणा संचेतना उदयन तत्व,
पुनः ऊर्जस्वित पथ विहार ।
आशा उत्साह उमंग संग,
हर स्वप्न यथार्थ रूप ढला ।
सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला ।।


क्रोध घृणा द्वेष नैराश्यता,
सफलता राह परम बाधक ।
स्नेह प्रेम अपनत्व व्यवहार,
लक्ष्य बिंदु सहज साधक ।
श्रम निष्ठ सकारात्मक सोच,
मूलाधार प्रगति सिलसिला ।
सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला ।।


विगत काल संश्लेषण विश्लेषण,
निर्माण प्राप्य अप्राप्य तलपट ।
पुनः दृढ़ संकल्प लक्ष्य निर्धारण,
आत्मविश्वास सह मैत्री झटपट ।
असंभवता शब्दकोश विलोपन,
उरस्थ अर्जुन दृष्टि बिंब पला ।
सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला ।।


जप तप अनवरत कर्म साधना,
अनूप भाग्य निर्माण रेखा ।
पटाक्षेप हर स्तर हीनता,
शौर्य जोश संधारण लेखा ।
स्पंदन अलौकिक पराकाष्ठा,
सर्वत्र दर्शन मनुजता जलजला ।
सिंहावलोकन कर,अंतस विजय ज्योत जला ।।


कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)
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