मानवता के सकल प्राण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
जीवन आभा सहज सरल,शीर्ष वंश परिवार परंपरा ।
स्नेहिल दृष्टि उदार ह्रदय,
वरित प्राणी जीव जंतु धरा ।
समता समानता भाव दर्शन,
मुखमंडल सौम्य मोहक ललाम।
मानवता के सकल प्राण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ।।
तज राजसी ठाठ बाट,
वनवास सहर्ष स्वीकार ।
निज स्वार्थ मोह तिलांजलि,
पितृ आज्ञा वचन साकार ।
मन साधक तन राधक,
प्रकृति उत्संग जप तप प्रणाम ।
मानवता के सकल प्राण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम।।
नीति रीति सद्भाव अभिव्यंजना ,
अपनत्व पराकाष्ठा व्यवहार ।
शापित शोषित दिव्य उदारक,
उरस्थ मृदुल मधुर नेह धार ।
शौर्य वंदन असुरता प्रहार ,
सर्वत्र विजय भव मंत्र अविराम।
मानवता के सकल प्राण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम।।
प्रेरणा पुंज व्यक्तित्व कृतित्व,
उत्तम पुरुष आचार विचार ।
शील शिष्ट सदाचारित शैली,
संघर्ष पथ नित्य मलंग विहार ।
श्रेष्ठ छवि राम लोक मानस,
कलयुग शोभना सम त्रेता धाम ।
मानवता के सकल प्राण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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