सुख और दिखावा: एक संक्षिप्त चिंतन
उपरोक्त पंक्तियाँ एक गहरी सच्चाई को उजागर करती हैं, जो हमारे समाज में व्याप्त दिखावे की संस्कृति को चुनौती देती हैं। यह हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या सच्चा सुख बाहरी दिखावे में निहित है या फिर यह हमारे भीतर की शांति और संतुष्टि का फल है।
सुख एक आंतरिक यात्रा है :
सुख एक ऐसी अवस्था है जो बाहरी वस्तुओं या परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती। यह हमारे भीतर की भावनाओं, विचारों और मूल्यों का परिणाम है। जब हम अपने भीतर शांति, कृतज्ञता और प्रेम की भावनाओं को पोषित करते हैं, तो हम सच्चा सुख अनुभव करते हैं।
दिखावा खालीपन को भरता नहीं :
दिखावे की दुनिया में, हम अक्सर दूसरों के साथ तुलना करते हैं और उनके जीवन शैली को अपनाने की कोशिश करते हैं। हम सोशल मीडिया पर अपनी सफलता और खुशियों को दिखाते हैं, लेकिन अंदर से खालीपन महसूस करते हैं। यह दिखावा हमें सच्चे रिश्तों और अनुभवों से दूर ले जाता है।
सच्चा सुख साझा करने में है :
सच्चा सुख दूसरों के साथ साझा करने में निहित है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, उन्हें प्रेरित करते हैं और उनके साथ खुशी के पल बिताते हैं, तो हम स्वयं भी अधिक खुश महसूस करते हैं।
सुख एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं :
सुख एक स्थायी अवस्था नहीं है। यह जीवन की उतार-चढ़ाव के साथ बदलता रहता है। हमें सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए और जीवन के छोटे-छोटे सुखों का आनंद लेना चाहिए।
आइए हम दिखावे की दुनिया से बाहर निकलें और अपने भीतर की शांति को खोजें। आइए हम सच्चे सुख को प्राप्त करने के लिए अपने मूल्यों और लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें। याद रखें, सुख एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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