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शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं

शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं

उर भाव मृदुल मधुर,
श्रृंगार अनूप नित यथार्थ ।
संवाद अनुपम मोहक प्रभा,
साधन साध्य ध्येय परमार्थ ।
अथाह नैतिक तेजस्वी छवि,
संस्कारी जनमानस भंगिमाएं।
शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं ।।


भव्य नवाचार अवबोधन ,
नवल धवल पथ प्रशस्त ।
निशि दिन सवित मार्गदर्शन,
बाधा समाधानिक शिकस्त।
नैराश्य तिमिर मूल पटाक्षेप,
आशा उमंग ज्योत जलाएं।
शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं ।।


कर्म धर्म आस्था विश्वास,
सविनय सहृदय अभिनंदन ।
अर्थ पर्याय अमृत सुधा,
सर्वत्र सरित आनंद वंदन ।
दैनिक जीवन शिष्टता अभिषेक,
व्यवहारिकी विमल भाव जगाएं।
शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं ।।


सहज सजग पुनीत दृष्टि ,
चाह स्वच्छ स्वस्थ परिवेश ।
नित्य प्रहरी स्नेह प्रेम बंधुत्व,
परिवार समाज संस्कृति देश ।
शंखनाद सेतु सकारात्मक सोच,
सदा प्रीत रीत पथ जगमगाएं ।
शब्द प्रणय में,संवर रहीं कविताएं ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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