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रिश्तों-मित्रता की नींव: सम्मान-समझ

रिश्तों-मित्रता की नींव: सम्मान-समझ

पंकज शर्मा
उपर दिए गए उद्धरण में जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलुओं - रिश्तों और मित्रता - की गहराई को बहुत ही सरल शब्दों में समझाया गया है। यह उद्धरण हमें सिखाता है कि रिश्तों को तराजू पर तौलने की बजाय उन्हें सम्मान देना चाहिए और मित्रों को परखने की बजाय उन्हें समझना चाहिए। यही दो गुण रिश्तों और मित्रता को मजबूत बनाते हैं।

रिश्तों का सम्मान ..... अक्सर हम रिश्तों में लेन-देन का हिसाब रखने लगते हैं। हम यह देखने लगते हैं कि हमें कितना मिला और हमने कितना दिया। यह तुलना रिश्तों में खटास पैदा कर देती है। रिश्तों की नींव प्रेम, विश्वास और सम्मान पर टिकी होती है। जब हम रिश्तों को सम्मान देते हैं, तो हम उनकी गरिमा का ध्यान रखते हैं, उनकी भावनाओं का आदर करते हैं और बिना किसी शर्त के उन्हें स्वीकार करते हैं। सम्मान रिश्तों में विश्वास और अपनापन बढ़ाता है, जिससे वे और भी गहरे और मजबूत होते हैं। रिश्तों को तौलने का प्रयास उन्हें कमजोर करता है, क्योंकि इससे उनमें स्वार्थ और अपेक्षा का भाव आ जाता है।

मित्रों की समझ ..... मित्रता एक अनमोल रिश्ता है जो हमें जीवन के सफर में सहारा देता है। मित्रों को परखने का मतलब है उनकी कमियों को देखना और उन्हें जाँचना। यह रवैया मित्रता को कमजोर करता है। इसके विपरीत, मित्रों को समझने का मतलब है उनकी भावनाओं, उनकी परिस्थितियों और उनकी मजबूरियों को समझना। जब हम अपने मित्रों को समझते हैं, तो हम उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं और उन्हें बिना किसी शर्त के स्वीकार करते हैं। समझ मित्रता में विश्वास और गहराई लाती है, जिससे यह रिश्ता और भी अटूट हो जाता है। मित्रों को परखने का प्रयास उन्हें दूर कर देता है, क्योंकि इससे उनमें असुरक्षा और अविश्वास का भाव पैदा होता है।

रिश्तों और मित्रता को मजबूत बनाने का यही मूल मंत्र है कि हम उन्हें तौलने और परखने की बजाय सम्मान दें और समझें। जब हम रिश्तों को सम्मान देते हैं, तो हम उनकी नींव को मजबूत करते हैं। जब हम मित्रों को समझते हैं, तो हम उनके साथ एक अटूट बंधन बनाते हैं। यही सम्मान और समझ रिश्तों और मित्रता को चिरस्थायी बनाते हैं।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)

पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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