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कवि बना दिया

कवि बना दिया

एहसानमंद हूँ मैं नफरत करने वालों का,
जिनकी प्रेरणा ने मुझे कवि बना दिया ।


प्रेमासिक्त जीवन से विरक्ति सी हो गई है,
वैराग्य से मुझे आसक्ति-सी हो गई है।


दुःख भरा जीवन ही जीने का आधार बन गया है।


लोगों का कटाक्ष सुनना मेरा अधिकार बन गया है।


कटाक्ष को ही अपनी कविता का विषय बना लिया है,
इसी वजह से बहुतों को अपना दुश्मन बना लिया है।


भ्रष्टाचार का पर्दाफाश दी जीवन का उद्देश्य बन गया है,
कुकर्मों पर अंकुश लगाना जिंदगी का कर्म बन गया है।


टूटते-बिखरते रिश्तों को फिर से हमें संवारना होगा,
नफरत को त्याग हमें अपनों को स्वीकारना होगा।





सुरेन्द्र कुमार रंजन
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