Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

शाम आई है तो रात भी होगी

शाम आई है तो रात भी होगी

ज्योतींद्र मिश्र
शाम आई है तो रात भी होगी,होगी
तुमसे फिर मुलाकात भी होगी,होगी
रोशनी से कोई रिश्ता न रहा
अब अंधेरों से बात भी होगी,होगी
शक्ल फिरने लगी है , नजरों में
मेरे छत पे बरसात भी होगी,होगी
मुहब्बत के वास्ते, भले तंग रात है
पहलू में तेरे खैरात भी होगी, होगी
खुलेंगे पेचों खम , तिलिस्म टूटेगा
सर्द मौसम से निजात भी होगी,होगी

हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ