शाम आई है तो रात भी होगी
ज्योतींद्र मिश्र
शाम आई है तो रात भी होगी,होगीतुमसे फिर मुलाकात भी होगी,होगी
रोशनी से कोई रिश्ता न रहा
अब अंधेरों से बात भी होगी,होगी
शक्ल फिरने लगी है , नजरों में
मेरे छत पे बरसात भी होगी,होगी
मुहब्बत के वास्ते, भले तंग रात है
पहलू में तेरे खैरात भी होगी, होगी
खुलेंगे पेचों खम , तिलिस्म टूटेगा
सर्द मौसम से निजात भी होगी,होगी
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