वृंदा जी की महिमा न्यारी
पूजा पाठ व्रत उपासना,सदा शोभित शीर्ष स्थान ।
पुनीत पावन मंगल आभा,
दृश परिणत तीर्थ समान ।
घर परिवार मंगल उपमा,
खिलती जीवन फुलवारी ।
वृंदा जी की महिमा न्यारी ।।
भगवान विष्णु प्रिया बन,
संपूर्ण ब्रह्मांड पर राज ।
आध्यात्म सहचरी बन,
सुसंपन्न धर्म आस्था काज ।
मांगलिक अनुष्ठान श्री श्रेष्ठता ,
प्रतिफल सदैव शुभकारी ।
वृंदा जी की महिमा न्यारी ।।
आयुर्वेद क्षेत्र अनंत महत्ता,
अमृत तुल्य परम उपमा ।
आरोग्यता फलन अथाहता,
अप्रतिम वरदान मनोरमा ।
सुख समृद्धि शांति स्वरूपा संग,
गूंजती खुशियां किलकारी ।
वृंदा जी की महिमा न्यारी ।।
तुलसी जी पूजन दिवस बेला,
असीम हार्दिक शुभकामना ।
गृह आंगन सुसज्जित कर,
विधिवत हो आज आराधना ।
हिंद संस्कृति अनमोल अनूप,
सारा जग नित्य बलिहारी ।
वृंदा जी की महिमा न्यारी ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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