आभूषणों संग,नारी सौंदर्य बहार
हर नारी अप्सरा सदृश ,जब तन सोहे मोहक गहने ।
शुभ आध्यात्म विज्ञान दृष्टि,
सौभाग्य उदय जब पहने ।
सर्व आभूषण महत्ता अनंत ,
प्रणय आनंद स्वप्न साकार ।
आभूषणों के संग,नारी सौंदर्य बहार ।।
सौलह श्रृंगार अभिन्न अंग,
मनमोहनी कंगन चूड़ियां ।
दाम्पत्य सुख प्रदायिनी,
चंद्र चपल सी नेह लड़ियां ।
रक्त संचार सदा संतुलित,
हर कदम खुशियां अपार ।
आभूषणों के संग,नारी सौंदर्य बहार ।।
कर्ण फूल छटा अद्भुत,
सही उत्तम सीख माध्य ।
वृक्क सदा सौष्ठव बिंदु ,
प्रजनन ओज स्फूर्ति साध्य ।
नथ हर सुहागिन आन बान,
आरोग्य समृद्धि प्रीत आधार ।
आभूषणों के संग,नारी सौंदर्य बहार ।।
मांग टीका आत्मिक स्पंदन ,
हिय प्रिय सुशोभना हार ।
अंगूठी अंतर प्रीति बंधन,
मंगलसूत्र सह वैभव अपार ।
अन्य सर्व आभा मनहर,
अंग प्रत्यंग यौवन रस धार ।
आभूषणों के संग,नारी सौंदर्य बहार ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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