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बीते कल की बिसरी बातें

बीते कल की बिसरी बातें


बीते कल की बिसरी बातें बीत गया यह साल। 
खट्टी मीठी यादें देकर ये कर गया हमें निहाल। 

शनै शनै यूं गुजर गए कई दिन पखवाड़े माह।
नव वर्ष का आगमन हृदय नूतन हो हर चाह।

भूल जाए उन पलों को जो नैनों का नीर हुए। 
यादों में समेट लेना जिनसे हम यूं अधीर हुए। 

कुछ पाया कुछ खोया है बीते हुए हर हाल में। 
कुछ हमको करके दिखलाना है नए साल में। 

अनुभवों का भरा पिटारा है प्रेरणा का भंडार। 
जीने की राहें दिखलाता आशाओं का संसार। 

जो रूठे है उन्हें मना लो थोड़ा सा मुस्कुरा लो। 
नए सपने नए हौसले नर मन में जरा बना लो। 

बीते कल से सीखो थोड़ा ठानों कुछ करने की। 
तैयारी ऐसी करो खुशियों से झोली भरने की।
 
नई सोच नई उमंग से भर लो फिर तनमन को। 
विदा करें इस साल को नववर्ष का आगमन हो। 

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है
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