ऋतु स्त्राव,एक नैसर्गिक वरदान
मनुज जीवन परम आधार,पर चिंतन दृष्टि लघुता ओर ।
नकारात्मक सामाजिक कारण,
सहमी धुंधली नारीत्व भोर।
कुरीतियों भ्रांति वशीभूत,
चर्चा संवाद सदृश अपमान ।
ऋतु स्त्राव,एक नैसर्गिक वरदान ।।
अधुना शिक्षा विज्ञान युग,
मासिक धर्म विमर्श अहम ।
अपरिहार्य ध्यान अवधि काल,
पोषण आहार खुशियां पैहम ।
अनुभूत तन मन अठखेलियां ,
सृजन शक्ति अनुपमा संधान ।
ऋतु स्त्राव,एक नैसर्गिक वरदान ।।
गृह विद्यालय समाज पटल,
विकसित सकारात्मक सोच ।
गठन संचालन आरोग्य प्रकोष्ठ,
वैचारिकी व्यवहार दर्श लोच ।
अभिवादन जीवन ज्योति उपमा,
सक्रिय भूमिका मंडन मुस्कान ।
ऋतु स्त्राव,एक नैसर्गिक वरदान ।।
स्वस्थ सुखद संतति हित,
समग्र सहयोग पावन बिंदु ।
तज परा परंपराएं धारणाएं,
स्वच्छता उपाय अमिय सिंधु ।
नित नमन विधाता कलाकारी,
प्रयास रक्षित वनिता स्वाभिमान ।
ऋतु स्त्राव,एक नैसर्गिक वरदान ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com