पुण्यों की सहज प्राप्ति,महाकुंभ स्नान से
सनातन संस्कृति अद्भुत अनुपम,जीवन शैली धर्म आस्था सराबोर ।
पुलकित प्रफुल्लित जनमानस,
कामना आनंददायी हर भोर ।
कुंभ महात्य अतुलित उत्तम,
अनंत खुशियां निज संधान से ।
पुण्यों की सहज प्राप्ति,महाकुंभ स्नान से ।।
दो हजार पच्चीस मंगल वर्ष,
प्रयागराज उत्संग आयोजन।
त्रिवेणी संगम दिव्यता स्पंदन,
तंत्र आतुर सुप्रबंध प्रयोजन ।
सर्वत्र स्नेह प्रेम एकता निर्झर,
श्रद्धालुगण विभोर मान सम्मान से ।
पुण्यों की सहज प्राप्ति,महाकुंभ स्नान से ।।
ज्ञात अज्ञात पाप मुक्ति,
मृदुल सरस मोक्ष द्वार।
नव चेतना उदयन सेतु,
जीवन अंतर अमिय धार।
रज रज रग रग समरसता,
सत्कर्म प्रेरणा विमल संज्ञान से।
पुण्यों की सहज प्राप्ति,महाकुंभ स्नान से ।।
प्रयागराज महत्ता परा अनूप,
सुशोभित पूर्ण कुंभ उपमा ।
त्रिदेव वरदान परम सौभाग्य,
अथाह आध्यात्म ओज रमा।
आत्म चिंतन शुद्धिकरण बेला,
जीवन उत्सविक शुभता आदान से ।
पुण्यों की सहज प्राप्ति, महाकुंभ स्नान से ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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