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पिता

पिता

रेंगना और बोलना माता हमें सिखाती है,
ऊँगली पकड़‌कर दौड़ना पिता हमें सिखाते हैं।
ममता की छाया हमें माता से ही मिलती है,
प्यार भरी झिड़की हमें पिता से ही मिलती है।
जीवन में संघर्ष करना पिता हमें सिखाते हैं,
विश्वास और धैर्य का दर्शन पिता हमें कराते हैं।
बचपन में कंधों पर बिठाकर पिता हमें घुमाते हैं,
मेले में मिठाई - खिलौने पिता हमें दिलाते हैं।
चरित्र का निर्माण करना पिता हमें सिखाते हैं,
मुसीबतों से लड़‌ना भी पिता हमें सिखाते हैं।
विकट स्थिति में धैर्य रखना पिता हमें बताते हैं,
आत्मसम्मान से जीने की पाठ हमें पढ़ाते हैं।
अपने सुखों को तजकर वे हमें पढ़ाते हैं,
योग्य हमें बनाने हेतु वे कर्जों में डूब जाते हैं ।
बरगद की पेड़ों की भाँति छाया हमें पहुंचाते हैं,
खुद पल-पल जलकर भी रोशनी हमें पहुंचाते हैं।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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