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घोटाला ही घोटाला

घोटाला ही घोटाला

जिस देश के बच्चे करते हैं धूम्रपान,
जिनकी दिनचर्या ही है नशापान।
अपमान को मिलता है जहां सम्मान ,
हो नहीं सकता इस देश का कल्याण।

इम देश में व्याप्त है सर्वत्र घोटाला,
कहीं चारा तो कहीं यूरिया घोटाला ।
कहीं हवाला तो कहीं बोफोर्स घोटाला,
कहीं वर्दी ती कहीं अलकतरा घोटाला।
कहीं संचार तो कहीं जी-स्पेक्ट्रम घोटाला,
कहीं भूमि तो कहीं आवास घोटाला ।
जिस देश में मिल रहा घोटाले को सम्मान,
हो नहीं सकता कभी इस देश का कल्याण

आज सर्वत्र घोटाले का है बोलबाला,
छोटे बन रहे नित्य बड़ों का निवाला ।
जनता के रक्षक ही बने उनके भक्षक,
स्वार्थी लोग ही बने हैं इनके संरक्षक ।
सभ्य लोग ही देते हैं घोटाले को सम्मान,
हो नहीं सकता कभी इस देश का कल्याण।

राजनेताओं के रिश्तेदारों को मिलता है ठेका,
तभी उन्हें मिल जाता है घोटाले का मौका।
आज तक किसी ने उन्हें नहीं रोका ,
अंततः उन्हें न्यायपालिका ने रोका ।
देखें क्या होता है इनका अंजाम,
हो नहीं सकता कभी इस देश का कल्याण।

राजनेता नित्य दे रहे जनता को धोखा,
जनता ने उनके विकृत रूप को देखा ।
करें मिलजुल उनकी जांच पड़ताल ,
जरूरत पड़ी तो पहुंचा देंगे उन्हें अस्पताल ।
मिलजुल कर करना होगा इनका अपमान,
तभी हो सकता है इस देश का कल्याण।

⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
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