Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बांग्लादेश एक कृतघ्न देश

बांग्लादेश एक कृतघ्न देश

जय प्रकाश कुवंर
भारतवर्ष में १६ दिसम्बर विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सैनिकों के शौर्य और बहादुरी के जज्बे को सलाम करने का दिन है। आज ही के दिन सन् १९७१ में भारतीय सेना की वीरता के आगे पाकिस्तान की सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा था और बांग्लादेश को आजादी मिली थी। १६ दिसम्बर १९७१ के दिन की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी भारतवर्ष के हर देशवासियों के मन में जोश और उमंग भर देती है। यह दिन भारतीय सेना के ताकत का भी प्रतीक है।
सन् १९४७ में देश के विभाजन के समय बंगाल का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। लगभग २४ साल तक पश्चिमी पाकिस्तान के आत्याचारों को सहन करने के बाद पूर्वी पाकिस्तान ने शेख मुजीबुर रहमान की अगुवाई में अपनी आजादी के लिए आवाज उठाई। भारतवर्ष ने पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में उनका भरपूर साथ दिया। इस युद्ध में भारत की पाकिस्तानी सेना के उपर जीत के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान अब एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश के रूप में उभर कर आया। १६ दिसम्बर सन् १९७१ के दिन पाकिस्तानी सेना के सेना प्रमुख ने भारतीय सेना के आगे अपने सैनिकों के साथ सरेंडर कर दिया था। बांग्लादेश की इस आजादी की लड़ाई में भारतवर्ष को भी जान माल की क्षति हुई थी। लगभग ४००० भारतीय सेना के जांबाज जवानों को इस लड़ाई में शहीद होना पड़ा था।
अपनी स्वतंत्रता के बाद से बंगलादेश और भारत का संबंध लगभग ठीक ही चल रहा था। लेकिन इस साल के अगस्त महीने से बंगलादेश में राजनीतिक उथल पुथल के बाद, जिसमें वहाँ की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़ कर देश से पलायन करना पड़ा था, कुछ संबंधों में कड़वाहट आने लगी है। आज बंगलादेश में वहाँ के अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजय दिवस पोस्ट पर आपत्ति जता रहे हैं और कहते हैं कि सन् १९७१ का १६ दिसम्बर का दिन बंगलादेश का विजय दिवस था। इसमें भारत केवल मात्र एक सहयोगी के और कुछ नहीं था। उन्होंने इस पर अपना कड़ा विरोध प्रकट किया है। आज बदली हुई परिस्थितियों में बंगलादेश का इस तरह जहर उगलना ठीक नहीं है। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री ने विजय दिवस के अपने पोस्ट में बंगलादेश का नाम तक नहीं लिया है।
यही नहीं, कुछ दिन पहले बंगलादेश के कुछ नेताओं ने यह कहा था कि बंगाल बिहार और उड़िसा पर भी बंगलादेश देश का अधिकार है। इस पर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की मुख्य मंत्री माननीया ममता बनर्जी जी ने कहा था कि आप बंगाल बिहार और उड़िसा पर अधिकार जमाने की बात करते हैं और यहाँ के लोग बैठकर क्या लाली पांप खाते रहेंगे।
इस प्रकार जब से बंगलादेश में राजनीतिक बदलाव हुआ है, तब से अनकों आपतिजनक बातें भारत के विरुद्ध सुनने में आ रही हैं। बंगलादेश में लगभग ८ से ९ प्रतिशत हिन्दू आबादी है। जिन पर तरह तरह के अत्याचार हो रहे हैं। महिलाओं की इज्जत लुटी जा रही हैं। हिन्दू मंदिरों में आग लगा कर उन्हें तोड़ा जा रहा है। हिन्दूओं के घर जलाये जा रहे हैं।
इन सब बारदातों को देखकर और कल के विजय दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री जी के पोस्ट पर वहाँ के अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल द्वारा आपति जताने से ऐसा लगता है कि बंगलादेश अब भारत विरूद्ध आचरण करने लगा है। ऐसे में ५३ साल पहले पाकिस्तान के साथ जंग लड़कर और उनको पराजित कर पूर्वी पाकिस्तान को अपने कब्जा में न लेकर बंगलादेश बनाने की भूल भारत से हुई है। अब बंगलादेश भी पाकिस्तान के जैसा ही भारत विरूद्ध अभियान में लगता है जुट गया है। अब प्रतीत होता है कि भारत को पश्चिम में पाकिस्तान और पुरब में बंगलादेश इन दो पड़ोसी मुस्लिम देशों से जुझना पड़ेगा। यही है एक कृतघ्न देश को अपने देश की अपार जान माल की क्षति उठाकर स्वतंत्रता दिलाने का उपहार। 
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ