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भारत को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने में ‘सनातन आश्रम’ का योगदान सबसे बड़ा होगा ! - प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि जी

भारत को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने में ‘सनातन आश्रम’ का योगदान सबसे बड़ा होगा ! - प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि जी

  • स्वामी गोविंददेव गिरिजी और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी की ‘सनातन आश्रम’ में हृदयस्पर्शी भेंट!

सनातन संस्था के आश्रम में आकर, इस पुण्यभूमि में उपस्थित होकर और इसका पूर्ण अवलोकन करने के बाद मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। केवल गोवा ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों को भी ‘तपोभूमि’ बनाने में ‘सनातन आश्रम’ का बड़ा योगदान है। इस आश्रम की ऊर्जा के कारण पिछले 25 वर्षों में लोगों की मनोभूमिका में जो सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, वे स्पष्ट रूप से अनुभव किए जा सकते हैं। यह ऊर्जा अब और भी गती से काम कर रही है। इसलिए मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भारत पूरे विश्व में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचेगा, और इस योगदान में ‘सनातन आश्रम’ का सबसे बड़ा योगदान होगा। ये शब्द ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास’ के कोषाध्यक्ष प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि जी ने गोवा स्थित सनातन संस्था के आश्रम की भेट करने के बाद कहे।

इस अवसर पर सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले और प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि जी की ‘सनातन आश्रम’ में एक भावपूर्ण भेंट हुई। आश्रम की भेट करने के बाद प.पू. स्वामीजी ने कहा, ‘‘हम भारत को पूर्व की तरह महान राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हालांकि, भारत विश्व गुरु के स्थान पर आसानी से नहीं पहुंच सकता। इसके लिए ऊर्जा के प्रवाह की आवश्यकता है। जैसे मुंबई के भाभा परमाणु ऊर्जा केंद्र से ऊर्जा उत्पन्न होती है और उसका उपयोग पूरे देश में किया जाता है, उसी प्रकार यह ‘सनातन आश्रम’ आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न कर रहा है। यह ऊर्जा आसमंत में फैल रही है और लोगों की मानसिकता को प्रभावित कर हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए काम कर रही है।’’

जैसे विभिन्न महात्माओं ने विभिन्न स्थानों पर तपस्या की और उसका प्रभाव समय-समय पर धर्म को जागृत कर राष्ट्र का सामर्थ्य प्रदान करता रहा, वैसे ही यह ‘सनातन आश्रम’ इस राष्ट्र को सामर्थ्य प्रदान करने वाली ऊर्जा का केंद्र है। इस केंद्र को मैं अत्यंत श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। इस ऊर्जा के मूल प्रवाह पूजनीय डॉ. जयंत आठवले जी के माध्यम से हुआ। उनके व्यक्तित्व ने मुझे अत्यंत आनंदित और प्रभावित किया। मैं उन्हें भी अत्यंत श्रद्धा से नमन करता हूं। स्वामीजी ने कहा, ‘‘मैं गीता सिखाता हूं और यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि गीता को यहां ‘सनातन आश्रम’ में आचरण में लाया जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह का ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ (सूक्ष्म-व्यवस्थापन) सनातन आश्रम में देखने को मिलता है। यह प्रबंधन शैली प्रेरणा देने वाली है।’’
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