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उजला मन

उजला मन

उजले मन में श्रद्धा होगी, भाव भक्ति संचार सखे।
धर्म आस्था प्रेम मोती, विश्वास का विस्तार सखे।
ना शंका न संशय होगा, विनयशीलता धार सखे।
उजले मन में राम बसे, सारे जग के करतार सखे।

सुख शांति समृद्धि का, वैभवता बढ़ती भंडार सखे।
खुशहाली घर आती, अपनापन बढ़ता प्यार सखे।
धन्य हो जाता जीवन, घट उजियारा साकार सखे।
दिव्य ज्ञान ज्योत जगे, मिटे सकल विकार सखे।

अधरों से अनमोल मोती, झरती है रसधार सखे।
मिश्री सी वाणी मीठी, कहती बातों का सार सखे।
उजले मन से उजाला हो, घर परिवार संसार सखे।
हर्ष खुशी आनंद बरसता, हृदय में हर बार सखे।

उजले उजले भाव उमड़े, सुधारस की धार सखे।
भाग्य सितारे सारे दमके, किस्मत रेखा पार सखे।
सत्य समर्पण त्याग की, तब पड़ती दरकार सखे।
उजले मन झलकती, शुभ कर्मों की बौछार सखे।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है।
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