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मैत्री ,एक बंधन प्यारा सा

मैत्री ,एक बंधन प्यारा सा

मृदु मधुर विमल आभा,
निस्वार्थता अनंत श्रृंगार ।
सुख दुःख पथ शीर्ष कंग,
असीम आनंद परम आगार ।
शुभ मंगल मृदुल सेतु ,
अविरल अमिय धारा सा ।
मैत्री,एक बंधन प्यारा सा ।।


मिलन पट अथाह आह्लाद,
बिछोह वेदना अति गहरी ।
संकट विपदा विपरित काल,
सदैव रूप प्रेरणा पुंज प्रहरी ।
अंतर प्रवाह साहस शौर्य,
रण क्षेत्र बुलंद जयकारा सा ।
मैत्री,एक बंधन प्यारा सा ।।


उर शोभा कृष्ण सुदामा भाव,
अप्रतिम खुशियां कारक ।
हर पल हास्य आमोद प्रमोद ,
शुद्ध सात्विक सोच धारक ।
मुख मंडल भव्य मुस्कान ,
जीवन उत्सविक नजारा सा ।
मैत्री,एक बंधन प्यारा सा ।।


नेह व्यंजना अद्भुत अनूप ,
नित दर्शन विमर्श अभिलाषा ।
रूचि अभिरुचि एक्य भाव ,
मोहक सोहक संवाद भाषा ।
ईश्वर प्रदत्त अनुपम उपहार ,
सदा पुनीत पावन न्यारा सा ।
मैत्री,एक बंधन प्यारा सा ।।


कुमार महेन्द्र

(स्वरचित मौलिक रचना)
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