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अहं प्रगति में बाधक है

अहं प्रगति में बाधक है

पंकज शर्मा


"अपनी काया एवं माया पर कभी अहं मत करिये, क्योंकि मोर के खूबसूरत पंखों का बोझ ही तो उसे उड़ने नहीं देता।"


यह उद्धरण हमें सिखाता है कि बाहरी दिखावे और भौतिक संपदा पर अत्यधिक गर्व नहीं करना चाहिए। मोर के पंख, जो उसकी सुंदरता का प्रतीक हैं, वास्तव में उसके उड़ने की क्षमता को सीमित करते हैं। इसी तरह, हमारे जीवन में भी कई बार ऐसा होता है कि जिन चीजों पर हम सबसे ज़्यादा घमंड करते हैं, वे ही हमारी प्रगति में बाधा बन जाती हैं।


इस उद्धरण को हम कई तरह से समझ सकते हैं:


1) अहंकार का बोझ : जब हम अपनी सुंदरता, धन, शक्ति या ज्ञान पर घमंड करते हैं, तो यह अहंकार एक बोझ बन जाता है। यह हमें दूसरों से दूर कर देता है और नई चीजें सीखने और अनुभव करने से रोकता है।
2) बाहरी दिखावे की सीमाएँ : कई बार हम बाहरी दिखावे में इतने खो जाते हैं कि हम अपनी आंतरिक क्षमताओं को भूल जाते हैं। हम उन चीजों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं जो दूसरों को दिखाई देती हैं, बजाय उन चीजों के जो वास्तव में मायने रखती हैं।
3) सरलता का महत्व : जीवन में सफलता और खुशी पाने के लिए सरलता बहुत ज़रूरी है। जब हम सरल होते हैं, तो हम हल्के होते हैं और आसानी से आगे बढ़ सकते हैं।


इसलिए, हमें इस उद्धरण से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी बाहरी संपदा पर घमंड नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी आंतरिक शक्तियों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। हमें सरल और विनम्र रहना चाहिए, ताकि हम जीवन की चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकें और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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