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पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर

पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर

घट पट नवल धवल,
मृदुल मधुर विचार प्रवाह ।
स्नेहिल व्यवहार तरंगिनी,
सकारात्मकता ओज अथाह ।
स्वच्छ स्वस्थ अंतर काय,
कदम चाल मंगलता ओर ।
पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर ।।


जीवन पथ प्रति क्षण ,
अनुभूत अनंत अनुराग ।
दिग्दर्शन सृजन आरेख,
दिव्य शब्द अर्थ पराग ।
अभिस्वीकृत आराध कामना,
मनोभूमि परम आनंद ठोर ।
पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर ।।


परीक्षा उत्तम अभिरक्षा,
अवरोध घटक विलोपन ।
बाधा समाधान प्रशस्ति,
उत्साह उमंगित विलोचन ।
उत्सविक प्रभा अंतर्मन,
लक्ष्य बिंदु प्रयास पुरजोर ।
पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर ।।


सौंदर्य अवतरण कर्तव्यता,
प्रेरणा पुंज प्रविधि ढंग ।
निशि दिन सरित आह्लाद,
मानव सेवा ज्योति उत्संग ।
वंदन राष्ट्र धरा समाज्ञा,
संस्कृति संस्कार अपनत्व सराबोर ।
पद्मजा श्री चरणों में,अरुणिम प्रज्ञा भोर ।।


कुमार महेंद्र

(स्वरचित मौलिक रचना)
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