दिल एक मंदिर है
दिल एक मंदिर जहां, भावों की धारा बहती है।धड़कनें गीत सुनाती है, प्रभु की मूरत रहती है।
हृदय में होता उजियारा, ज्ञान दीप जलता हो।
प्रेम के मोती दमकते, पूजन थाल सजता हो।
शब्दों के सुमन हार बुन लो, मनमंदिर में प्यारे।
सुख की धाराएं अगणित, दमके भाग्य सितारे।
सद्भावों के पुष्प खिला, महकाओ आंगन को।
दिल का कोना-कोना हर्षित, मधुरम पावन हो।
श्रद्धा भक्ति भाव आस्था, मन का हो विश्वास।
घट के भीतर बैठी आत्मा, ईश्वर अंश है खास ।
कहां ढूंढता फिरता प्यारे, दिल एक मंदिर प्यारा।
दिल की सुनो आवाज तुम, दिल हमदम तुम्हारा।
दिल में बजते साज सुरीले, मधुर मधुर झंकार।
दिल के तारों से बहती रहती, भावों की रसधार।
दिल तक दस्तक दे पाए, दिल में वही उतरते।
जो दिल की सुनते हैं, दुनिया में वही निखरते।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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