लोग हवा देत बा खुब,
एह से दबाव बढ़ल जात बा।हम चाहत बानी कुछ,
आउर होत बाटे कुछ,
एह से तनाव बढ़ल जात बा।।
आज कल मन माफिक,
कुछ होत नइखे।
सब उल्टा पुल्टा हो जात बा।
मन माफिक ना भइला पर,
दिल खुब घबरात बा।।
खुब हम तो मिहनत कइनी,
करत करत दुबर हो गइनी।
फल पावे के समय आइल,
राजनीति के दांव चढ़ गइल।
इ सब तमाशा देख के,
अब सहल त ना जात बा।
हम चाहत बानी कुछ,
आउर होत बाटे कुछ
एह से तनाव बढ़ल जात बा।।
जय प्रकाश कुवंर
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