Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जीवों का होता यह जीवन ,

जीवों का होता यह जीवन ,

जीवन की होती है जवानी ।
भला बुरा रचता इतिहास ,
भला बुरा रचता है कहानी ।।
कोई लेता गुणों का है खान ,
कोई करता निज मनमानी ।
कोई अपनाता निष्ठा शिष्टता ,
कोई द्वेष क्लेश व बेईमानी ।।
जवानी जीवन सॅंवारने हेतु ,
जवानी स्वयं ही सॅंवर रहा है ।
सागर में वह पानी देखकर ,
डूबते उतराते ही पॅंवर रहा है ।।
कहीं अपनाया सुगम मार्ग ,
कहीं मार्ग वह भटक रहा है ।
चोरी बेईमानी और शोषण ,
पराया धन भी गटक रहा है ।।
कोई बनता राम और कृष्ण ,
कोई रावण बालि हो रहा है ।
कोई अंधों को मार्ग बताता ,
कोई होश निज खो रहा है ।।
जीवन की जवानी है धन्य तू ,
जीवन ही अंधा बना रहा है ।
भला बुरा तुम मार्ग दिखाते ,
भला बुरा धंधा बना रहा है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ