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मोहब्बत अनमोल

मोहब्बत अनमोल

सीने से लगाकर तुमसे
बस इतना ही कहना है।
जिंदगी भर अब तुम मुझे
रखना बाहों में अपनी।।

साँसों में तुम बसे हो मेरे
दिल पर लिखा तेरा नाम।
मैं हूँ अगर खुश आज तो
ये है तेरा एहसान।।

आँखो में हरपल तेरी ही
दिखती है एक तस्वीर।
दिल और दिमाग पर मेरे
बस छाएँ हुए हो तुम।।

भूलकर भी छोड़ने का मुझे
मत करना इरादा भी तुम।
वरना मेरी मौत का तुम्हें
जल्दी मिल जायेगा पैग़ाम ।।

देख सकता नहीं मैं तुझे
किसी और के बाहों में।
क्योंकि ये दिल अब तेरे बिना
कही और लगता ही नही।।

हर सांसो पर तेरा जो
अब नाम लिखा गया।
जीती और मारती हूँ बस
अब मैं सिर्फ तेरे लिए।।

जीवन का रस पान किये
तुम जो मेरे संग।
हर अंग पर लिखा है
तब ही से तेरा नाम।।

मानव जीवन की रातें वो
सब लिखी है तेरे नाम।
आंगन में अपने अब एक
फूल भी खिल उठा।
जीवन भर की ये अब
मानों धरोहर है ये।।

जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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