पड़ोसी था दोस्त, दुश्मन हो गया।
डॉ रामकृष्ण मिश्रपड़ोसी था दोस्त, दुश्मन हो गया।
तंत्र के आतंक मे बस खो गया।।
जो रहा खुशहाल मेरी मदद से।
बीज नफरत का अचानक बो गया।।
एक ही थे , एक ही था घर हमारा।
कोई वैमत चला , रिशता धो गया।।
शंख तोडे, घंटियों की ध्वनि बदल दी।
आस्था का बिंब सारा ढो गया।।
अब उसे लग रहा आच्छा भिखमंँगी।
दलदली आतंक से जो रो गया।।
ढले दिन अब ठगी के पाखंड के।
तंत्र के आतंक मे बस खो गया।।
जो रहा खुशहाल मेरी मदद से।
बीज नफरत का अचानक बो गया।।
एक ही थे , एक ही था घर हमारा।
कोई वैमत चला , रिशता धो गया।।
शंख तोडे, घंटियों की ध्वनि बदल दी।
आस्था का बिंब सारा ढो गया।।
अब उसे लग रहा आच्छा भिखमंँगी।
दलदली आतंक से जो रो गया।।
ढले दिन अब ठगी के पाखंड के।
जो फँसा वह कब्र में जा सो गया।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com