Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा

सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा

उर हिलोरित उष्ण उमंग ,
जप तप सर्द तृप्ति ओर ।
कंपन अंतर जीवन दर्शन,
रग रग उदयन आनंद भोर ।
देख ठंड रूप अल्हड़ जवां ,
जीवन परिणय स्वप्न गढ़ रहा ।
सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा ।।


परिवेश छटा नवल धवल,
तपन संग अपनत्व अथाह ।
अलाव परिध मधुर संवाद,
नैराश्य वैमनस्य भाव स्वाह।
शीतल विकल दैनिक चर्या,
हर कदम बचाव ओर बढ़ रहा ।
सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा ।।


दिवा पटल रवि अठखेलियां,
अद्भुत अनुपम विशेष ।
धूप श्रृंगार दुल्हन सम,
दर्श सह खुशियां अधिशेष ।
परिधान खानपान गर्मा गर्म,
अंतःकरण मिलन मंत्र पढ़ रहा ।
सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा ।।


जीवन शैली मस्त मलंग,
आचार विचार प्रीति सिक्त ।
निशि वैभव परम सुख दायक,
जनमानस विभेदी सोच रिक्त ।
सर्द मनोरमा प्रियेसी सदृश,
मिलन अभिलाष हिय कढ़ रहा
सर्दी में नेह परवान चढ़ रहा ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ