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दहेज के स्टाइल

दहेज के स्टाइल

सुरेन्द्र कुमार रंजन

जमाने के बदले परिवेश में,
दहेज का बदला स्टाइल है।
लड़‌की देखने जब लड़‌का,
पहुँचा उसके बंगले पर ।
स्वागत में उसके खड़े थे,
सास-ससुर दरवाजे पर।
लड़की की सुन्दरता देख
लड़‌का हुआ संतुष्ट ।
तभी ससुर ने लड़के से,
मांगी दहेज की लिस्ट ।
शर्मीले अंदाज में लड़के ने,
पहले गले पर फेरा हाथ।
बायीं कलाई को दायें हाथ से मरोड़ा,
दोनों हाथों की एक-एक अंगुली चटकाई।
पैरों को दबा आँखों को मला,
ऐसा लगा जैसे बहुत थका है।
फिर एक अंगुली उठा बोला,
एक बजे बैंक पहुंचना है।
निहार लड़की को ऊपर से नीचे ,
बोला और कुछ नहीं चाहिए।
शालीनता उसकी देख ससुर ने,
पत्नी से फिर यूं बोला ।
किस्मत अपने हैं अच्छे,
जो इतना भला दामाद मिला।
यह सुन पत्नी बिदक कर बोली,
आँखों पर क्या पड़ा है परदा।
देखा नहीं कितनी सफाई से,
उसने सब कुछ मांग लिया।
फेर गले पर हाथ उसने ,
सोने का चेन मांगा है।
बायीं कलाई को मरोड़ उसने,
कलाई घड़ी मांगा है।
पैर दबाकर उसने चुपके से,
बुलेट मोटरसाइकिल मांगा है।
आँखों को मलकर उसने,
टेलीविजन मांगा है।
बेटी को यूं देख उसने,
गहनों को भी मांगा है।
सुनकर दहेज के नए स्टाइल,
पतिदेव रह गए आवाक्।
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