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आर्य समाज गोविंदपुरम का त्रिदिवसीय वार्षिक सम्मेलन हुआ संपन्न: विभिन्न विद्वानों ने रखे राष्ट्रोपयोगी विचार वैदिक चिंतन दर्शन से ही राष्ट्र में शांति संभव : डॉ राकेश कुमार आर्य

आर्य समाज गोविंदपुरम का त्रिदिवसीय वार्षिक सम्मेलन हुआ संपन्न: विभिन्न विद्वानों ने रखे राष्ट्रोपयोगी विचार वैदिक चिंतन दर्शन से ही राष्ट्र में शांति संभव : डॉ राकेश कुमार आर्य

गाजियाबाद से विशेष संवाददाता की खबर   गाजियाबाद में स्थित आर्य समाज गोविंदपुरम का तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन दिनांक 1 दिसंबर को संपन्न हो गया। अंतिम दिवस को परम विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि वैदिक चिंतन दर्शन से ही राष्ट्र में शांति संभव है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की अवधारणा वेदों की देन है। इसी प्रकार मनु महाराज की मनुस्मृति विश्व का पहला संविधान होने के कारण सारे संसार को संवैधानिक दर्शन प्रस्तुत करने वाला ग्रंथ है । आज जितने भर भी संविधान संसार भर में मिलते हैं उन सब पर मनु की मनुस्मृति का परोक्ष अपरोक्ष प्रभाव अवश्य है। उन्होंने इतिहास के संदर्भ प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत के ललितादित्य मुक्तापीड जैसे सम्राट विशाल विशाल साम्राज्य स्थापित करने वाले रहे हैं। जिन्होंने भारत के वेदों के मानवतावादी संदेश को दुनिया के कोने कोने में फैलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि हेमचंद्र विक्रमादित्य ने अपने नाम के पीछे विक्रमादित्य इसलिए लगाया था कि भारत के लोग राजा विक्रमादित्य की उस परंपरा से परिचित हो सकें जिन्होंने उस समय के जम्बूद्वीप अर्थात यूरोप और एशिया पर अपना शासन स्थापित किया था।
डॉ आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने भारत को भारतीयता से परिचित कराने का सबसे पहले प्रशंसनीय कार्य किया। उन्होंने भारत के राजनीतिक सामाजिक आर्थिक चिंतन को भारतीय बनाने की दिशा में ठोस कार्य करते हुए 1857 की क्रांति का सूत्रपात करवाया था। उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए लोगों ने देश धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर राष्ट्र सुरक्षा के अपने पुनीत दायित्व के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। जिसके परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में आर्य समाज के लोग देश की आजादी में कूद पड़े। कांग्रेस के बड़े नेता मौलाना हसरत मोहानी ने एक सर्वेक्षण टीम के मुखिया के रूप में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए एक बार कहा था कि गांधी जी के असहयोग आंदोलन को लेकर जितने भर भी लोग जेल में गए उन सब की 80% संख्या आर्य समाज की थी।
उन्होंने कुंवर सुखलाल मुसाफिर सातवलेकर जी, महाशय कृष्ण जी, महाशय बग्गाराय, डॉ सतपाल के जीवन के क्रांतिकारी प्रसंग सुनाए और कहा कि इन सभी और इन जैसे अनेक क्रांतिकारियों को देश के इतिहास से मिटा दिया गया। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका पंडित जवाहरलाल नेहरू की रही थी। यदि क्रांतिकारियों का इतिहास लिखा जाता और उनकी भावना के अनुसार वैदिक राष्ट्र का निर्माण किया जाता तो आज देश के सामने खड़ी अनेक समस्याओं का कहीं दूर-दूर तक अता पता नहीं होता । इसलिए आवश्यकता है कि हम अपनी भारतीय संस्कृति के साथ समन्वय स्थापित करें और वैदिक दृष्टिकोण से राष्ट्र के निर्माण में जुट जाएं।
आर्य समाज के सुप्रसिद्ध नेता और विद्वान श्री माया प्रकाश त्यागी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व शांति भारतीय वैदिक दर्शन के माध्यम से ही आ सकती है। क्योंकि संसार में वसुधा को अपना परिवार मानने का चिंतन केवल वैदिक संस्कृति के पास है । इसी से राष्ट्र में वास्तविक शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत समग्र संसार को श्रेष्ठ पुरुषों का समाज बनाना अपना लक्ष्य लेकर चलने वाला राष्ट्र रहा है। जिसके लिए उसने प्राचीन काल से कार्य किया है। दीर्घकाल तक इस देश में राजा की कोई आवश्यकता नहीं हुई थी। क्योंकि लोग धर्म के अनुरागी थे और धर्म के अनुसार काम करने में प्रसन्नता का अनुभव करते थे। आज भी यदि हम पूरी ईमानदारी का प्रदर्शन करते हुए इस दिशा में कार्य करें तो निश्चय ही देश के लिए हम बड़ा काम कर सकते हैं।
आर्य जगत के सुप्रसिद्ध विद्वान और विशिष्ट वक्ता श्री हरिशंकर अग्निहोत्री ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के वैदिक चिंतन को स्वामी दयानंद जी महाराज ने देश की आजादी के साथ समन्वित करके देखने का प्रसंसनीय कार्य किया था। जिसके चलते भारत आजाद हुआ। आवश्यकता इस बात की थी कि देश की आजादी के बाद देश का राजनीतिक नेतृत्व स्वामी दयानंद जी के चिंतन को अपनाकर राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करता , परंतु राजनीतिक नेतृत्व उलटी दिशा में चला गया। जिसका परिणाम यह हुआ है कि आज हम अनेक प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हैं ।आवश्यकता इसी बात की है कि भारत के वैदिक चिंतन को अपनाकर राजनीतिक लोग कार्य करें।
आर्य जगत के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक क्रांतिकारी युवा नेता कुलदीप विद्यार्थी ने अपने ओजस्वी विचार व्यक्त करते हुए क्रांतिकारियों के जीवन पर प्रकाश डाला और युवा पीढ़ी का आवाहन किया कि वह क्रांतिकारियों के बलिदानों का सम्मान करते हुए उनके सपनों का भारत बनाने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि भारत के जितने भी क्रांतिकारी बलिदानी थे उन सब के पीछे स्वामी दयानंद जी का चिंतन कार्य कर रहा था। कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गाजियाबाद के प्रधान श्री तेजपाल सिंह आर्य द्वारा की गई। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज घर-घर अलख जगा कर स्वामी दयानंद जी के संदेश को पहुंचाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का सफल संचालन राजेंद्र कुमार सिंह द्वारा किया गया।
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