Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

देह काम करत नइखे

देह काम करत नइखे,

भुख प्यास मरत नइखे।
पेट भरल भारी बा,
उपवास के तैयारी बा।
बैठल बैठल केहू चार दिन खिआई,
ओकरा बाद त मुंह फुल जाई।
गैर कैसे देखी जब,
आपन लोग देखत नइखे।
गैर आउर आपन में,
तनिको सा अब फरक नइखे।
कान्हा चढ़ के घुमल जे,
उ सब नजर से उतार दिहलस।
बड़ा आशा आपन देह रहे,
उहो साथ छोड़ दिहलस।
इहे आज कल संसार में,
व्यवहार बाटे भाई,
केकरा पर केहू घमंड करी,
केकरा पर मन इतराई। 
 जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ