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बिदाई साल २०२४

बिदाई साल २०२४

जय प्रकाश कुवंर
अब छुट रही जग से यारी है।
अब मेरे जाने की तैयारी है।।
मेरे रहते बहुतों को सुख मिला।
तो बहुतों को दुख मिला।।
बहुतों को नवजीवन मिला।
तो बहुतों को जीवन खोना पड़ा।।
किसी का कद बढ़ा।
तो किसी का मद बढ़ा।।
कोई कद पा इतराया।
तो कोई मद में बौराया।।
मैं हर घटनाओं का गवाह बना।
अब मैं अपने राह चला।।
मैं समय हूँ ,
समय किसी के लिए रुकता नहीं।
मुझ पर अभिमान मत करो,
क्योंकि, मैं बहुत देर टिकता नहीं।।
मैं आज जाउंगा,
कल कोई और आएगा।
सबके कर्मों के अनुरूप ही,
वह भी गुल खिलाएगा।।
जग में आये हो तो सत्कर्म करो,
साल और समय तो आएगा जाएगा।
मनुष्य के कर्मों के हिसाब से ही,
कोई साल अच्छा बुरा कहलाएगा।। 
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