विपक्ष को दलित वोट भाजपा के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है क्या?
दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी बार-बार संविधान की भावना की हत्या की है। पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर गांधी परिवार की हर पीढ़ी ने सत्ता में रहते हुए संविधान से छेड़छाड़ की है। संविधान से छेड़छाड़ का दाग कांग्रेस के माथे से नहीं मिटेगा, यह पाप। लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया है नेहरू-गांधी परिवार। कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। 75 साल में 55 साल तक एक ही परिवार ने राज किया, इसलिए देश में क्या-क्या हुआ ये जानने का अधिकार सबको है। उक्त बातें लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए कही।
उन्होंने लोकसभा में 11 संकल्प बताये (1) चाहे नागरिक हो या सरकार हो, सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें। (2) हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ मिले। (3) भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो। (4) देश के कानून, देश के नियम, देश की परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व होना चाहिए। (5) गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो। (6) देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले। (7) संविधान का सम्मान हो, राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए। (8) जिनको संविधान से आरक्षण मिल रहा है, उसे न छीना जाए, धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे। (9) महिलाओं के नेतृत्व में विकास यानि वूमेन लेड डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाए। (10) राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास बने-यह हमारा मंत्र हो। (11) एक भारत श्रेष्ठ भारत का मंत्र सर्वोपरि हो।
शीतकालीन सत्र में 'एक देश-एक चुनाव' संबंधी विधेयक पेश किये जाने और कई विषयों पर भारी हंगामे के बाद संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई गयी है।
कांग्रेस आंबेडकर की तस्वीरें लेकर संसद परिसर में विरोध कर रही थी। विपक्ष और कांग्रेस नेता गृह मंत्री के बयान के एक हिस्से को प्रचारित कर रहे हैं, लेकिन उसके शेष हिस्से को सुनने के लिए आज भी तैयार नहीं है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के नाम पर चल रही राजनीति शांत होने का नाम नहीं ले रही है। देश भर में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष विरोध प्रदर्शन हो रहा है। जिस तरह की सियासत हो रही है, देश के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ था। इडी (कांग्रेस) गठबंधन द्वारा, बाबा साहेब के नाम पर केन्द्रीय गृह मंत्री से इस्तीफा मांगना तथा सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हाथापाई, समझ से पड़े हैं। बाबा साहेब संविधान रचना के समय ही इशारा किया था कि संविधान अपने आप में कुछ नहीं कर सकता है, उसकी पालन करने वालों की गुणवत्ता पर सब कुछ निर्भर करेगा। अच्छे प्रतिनिधि संविधान को ठीक से लागू करेंगे और बुरे प्रतिनिधि संविधान का दुरुपयोग करेंगे।
बाबा साहेब जब अपनी सियासी जमीन तलाश रहे थे, उस समय देश में 18 प्रतिशत साक्षरता था और आज 40 प्रतिशत साक्षरता हैं। उस समय साक्षर नेता बाबा साहेब दो-दो बार चुनाव हारे थे या कहिए कि हरवा दिए गए थे। आज राजनीतिक दल को वोट देते समय बाबा साहेब को याद करना चाहिए और साक्षर नेता को उनकी कावलियत को देखते हुए मतदान करना चाहिए, मुझे लगता है कि ऐसा करने से बाबा साहेब के प्रति शायद यही सच्चा प्रेम होगा।
भारत के संविधान-निर्माता बाबा साहेब डॉ बी आर आंबेडकर देश की राजनीति में अचानक केन्द्र विंदु में आ गए हैं। देश के गृह मंत्री का बाबा साहेब का अपमान का इरादा नहीं था, यह उन्होंने साफ कर चुके हैं, लेकिन विपक्ष ने यह मुद्दा जोरदार ढंग से बाहर उठाकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को सफाई देने पर मजबूर कर रहे है। इस मुददे को संसद से बाहर उठाने के कारण देश के दलितों को अनावश्यक उल्लेख पर आपत्ति हो रही है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था, होना तो यह चहिए था कि अब तक बाबा साहेब के प्रति शासन करने वाली सरकारें क्या विचार रखती थी। देखा जाए तो विपक्ष की कांग्रेस सरकार ने बाबा साहेब को भारत रत्न नहीं दिया था, न ही उनका चित्र संसद में लगाया था। देश के दलितों की मांग थी कि मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी का नामकरण डॉ आंबेडकर के नाम पर किया जाए, लेकिन यह सब भी कांग्रेस ने नहीं किया।
राज्यसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री ने अपने लगभग एक घण्टा 40 मिनट दिए भाषण में जिस तरह से वे तथ्यों और तर्कों को रखा, उसने कांग्रेस नेतृत्व को मुश्किल होने लगा था। भाषण के समय कांग्रेस के कोई नेता तर्कों का विरोध नहीं कर सका। लेकिन कार्यवाही के बाद कांग्रेस नेताओं ने अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण में से 12 सेकेण्ड की विडियो क्लिप निकाल कर बाहर हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके बाद अन्य विपक्षी पार्टिया केन्द्र सरकार पर हमलावर हो गए।
प्रश्न यह उठता है कि हंगामा करने बाले यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर ऐसा कहने से बाबा साहेब का अपमान कैसे हो गया। लगता है कि विपक्ष डरा हुआ है कि भाजपा बाबा साहेब को आजादी के बाद उचित स्थान देकर, दलित समुदाय के हितों की वास्तविक चिन्ता की है, जिससे दलित वोट भाजपा के पक्ष में जाता हुआ दिख रहा है। इसलिये शाह के बयान को तोड़-मरोड एवं आधा-अधूरा प्रस्तुत कर बेवजह का हंगामा करने पर तुले दे रहे हैं।ऐसा लगता है कि अब समय आ गया है कि संविधान की शत प्रतिशत पालना हुआ है या नहीं इस विषय पर देश में मंथन होना चाहिए। अपनी तमाम ऐतिहासिक हस्तियों के बारे में व्यापक नजरिया रखना चाहिए।
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