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गीता मेरा हृदय है, गीता ही है प्राण,

गीता मेरा हृदय है, गीता ही है प्राण,

गीता में प्रबंधन छिपा, गीता में तत्व ज्ञान।
कौन हैं अपने और पराये, सब माटी के पुतले,
रंगमंच एक विश्व पटल है, गीता है अभियान।
क्या है धर्म और अधर्म, कैसे इसको जानें,
गीता में सब कुछ रचा, सत्कर्म से पहचान।
सत्य सनातन, धर्म पुरातन, 'देह' वस्त्र आत्मा का,
कर्म करो बुद्धि को संग ले, बनकर तुम निष्काम।
कर्म के प्रति रहे सजगता, फल से न हो आसक्ति,
खुद के भीतर छिपा ब्रह्म, गीता का गुणगान।
चक्रव्युह सा मानव जीवन, सुख दुख घेरा डाले,
गीता में ही छिपी हुयी, भेदन की मुस्कान।
गीता ही है आन- बान, गीता ही है 'कीर्ति' शान,
गीता में जीवन छिपा, गीता में ही भगवान।


डॉ अ कीर्तिवर्धन

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