Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

संभल का हरिहर मंदिर

संभल का हरिहर मंदिर

ऋषि रंजन पाठक
संभल की माटी में गूँजती,
गाथा एक पुरानी है।
हरि-हर के संगम की,
यह कहती दिव्य कहानी है।

कभी यहाँ शिव की ज्योति जली,
विष्णु का गुणगान हुआ।
सत्य, धर्म और आस्था का,
पवित्र यहाँ निर्माण हुआ।

फिर आए झंझावात समय के,
और बदल गई तस्वीर यहाँ।
मंदिर के गर्भ से उठी इमारत,
मिट गई पहचान कहाँ।

हरिहर मंदिर था कभी यहां,
श्रद्धा का वह स्थल महान।
शिला पर उकेरीं वे गाथाएँ,
धर्म की अद्भुत परछाइयाँ।

मुगल आंधी ने बदला रूप,
मंदिर की जगह मस्जिद का रूप।
लेकिन पत्थरों में बसती है,
इतिहास की वह सच्ची धूप।

कल्कि का वचन है संभल पर,
यहीं लौटेंगे धर्म के स्वर।
पुनः होगा सत्य का जयगान,
हरि-हर गाएंगे वही पुरान।

पर पत्थर बोलते हैं अब भी,
शिला लिखे इतिहास को।
हर अक्षर में छिपा हुआ है,
धर्म-संस्कृति के विश्वास को।

संभल! तुझ पर वचन है विष्णु का,
कल्कि यहीं आएंगे।
सत्य और धर्म की ज्योति से,
फिर कलियुग मिटाएंगे।

हरिहर मंदिर की आत्मा,
अब भी है जीवित इस धरा पर।
यह गाथा सिखाती है सबको,
सत्य रहेगा सदा अमर।

हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ