Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

किसी को गलत समझने से पहले...

किसी को गलत समझने से पहले...

जीवन में कई बार ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति के व्यवहार या कार्यों को देखकर तुरंत अपनी राय बना लेते हैं। हम उसे गलत समझने लगते हैं, उसकी आलोचना करते हैं, और कभी-कभी तो उससे संबंध भी तोड़ लेते हैं। लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा है कि शायद उस व्यक्ति की कोई मजबूरी रही होगी? शायद वह किसी ऐसी परिस्थिति से गुजर रहा होगा जिसके बारे में हमें जानकारी नहीं है?

एक पुरानी कहावत है, "दूसरों के जूते में पैर डालकर देखो।" इसका अर्थ है कि किसी और की स्थिति को समझने के लिए, हमें खुद को उसकी जगह पर रखकर देखना चाहिए। जब हम ऐसा करते हैं, तो हमें एहसास होता है कि परिस्थितियाँ कितनी जटिल हो सकती हैं और हम कितनी आसानी से गलतियाँ कर सकते हैं।

हमारे द्वारा लिए गए त्वरित निर्णय अक्सर अपूर्ण जानकारी पर आधारित होते हैं। हम केवल बाहरी व्यवहार को देखते हैं, जबकि आंतरिक कारण छिपे रहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति किसी दिन उदास और चुपचाप है, तो हम सोच सकते हैं कि वह अभिमानी है या हमें अनदेखा कर रहा है। लेकिन शायद वह किसी व्यक्तिगत समस्या से जूझ रहा हो, किसी प्रियजन को खो चुका हो, या किसी तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा हो।

इसलिए, किसी को गलत समझने से पहले, एक बार उसकी परिस्थिति को समझने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए। यह न केवल मानवीयता का तकाजा है, बल्कि यह हमारे अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। जब हम दूसरों के प्रति सहानुभूति और समझ दिखाते हैं, तो हम अपने अंदर भी शांति और संतोष का अनुभव करते हैं।

जैसा कि उपरोक्त उद्धरण में कहा गया है, "पूर्ण विराम केवल अंत नहीं, नए वाक्य की शुरूआत भी होती है।" इसी तरह, किसी व्यक्ति के जीवन में कोई भी घटना अंतिम नहीं होती। हर परिस्थिति एक नया अध्याय, एक नई शुरुआत हो सकती है। इसलिए, हमें दूसरों को मौका देना चाहिए, उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए, और उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।

अंत में, मैं यही कहना चाहूँगा कि दूसरों को गलत समझने से पहले, एक बार उनकी परिस्थिति को समझने की कोशिश ज़रूर करें। यह एक छोटी सी कोशिश हमारे रिश्तों को और भी मजबूत बना सकती है और हमें एक बेहतर इंसान बना सकती है।

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ