मुस्कुराने का हुनर
ऋषि रंजन पाठकतुम पढ़ नहीं पाओगे,
उदासियों के वो अनकहे पन्ने,
जो मेरी आँखों के पीछे छुपे हैं,
मुस्कुराहट की परतों में।
मैंने सीखा है दर्द को सजाना,
जैसे कोई तस्वीर खूबसूरती से भर दे,
दाग़ों के निशान छुपाकर।
जैसे कोई सूरज ढलते-ढलते,
रंग भर दे गगन में।
मैंने सीखा है,
आंसुओं को आँखों तक आने से पहले रोक लेना,
और दर्द को लफ्ज़ बनने से पहले,
हवा में खो देना।
तुम देखोगे बस मुस्कान,
लेकिन सुन न पाओगे,
उसके पीछे गूंजती सिसकियां।
तुम समझोगे शायद हंसी,
लेकिन महसूस न करोगे,
उसके पीछे का खालीपन।
ये हुनर है या आदत,
मुझे खुद भी नहीं पता।
पर हर दर्द को चुपचाप पहन लेना,
मेरा फ़ितरत बन चुका है।
तुम नहीं समझ पाओगे,
इन होंठों की सजी मुस्कान के पीछे,
दर्द के वो तूफान,
जो हर रात आते हैं चुपचाप।
कभी कोशिश करना,
मेरे लफ़्ज़ों की गहराई में उतरने की,
जहाँ हर हंसी के नीचे,
एक सिसकियों का समंदर छुपा है।
तो जब देखो मुझे मुस्कुराते हुए,
सोचना ज़रूर,
क्या ये मुस्कान सच में है?
या एक और परदा,जो छुपा लेता है मेरे दिल की कहानियां।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com