कलम का कमाल देख लो ,
क्या नहीं कलम बोलती है ।बिना मुॅंह की होती कलम ,
फिर भी जुबान खोलती है ।।
कलम कभी चुप न बैठती ,
सच को उजागर ये करती है ।
कलम सदा सत्य है बोलती ,
कलम कहाॅं कभी डरती है ।।
कलम सदा रहती है पीड़ित ,
जन के कटु मिथ्या भावों से ।
कलम कभी नहीं हर्षित हुई ,
दुराचार दुर्भाव प्रभावों से ।।
कभी दिखती व्यथित कलम ,
कभी करुणा ये बरसाती है ।
बहन बेटियों की पीड़ा देखते ,
आग बबूला ही हो जाती है ।।
बोलती कलम में वह शक्ति ,
राजसिंहासन हिल जाता है ।
कुनीति विरोधी सदा कलम ,
आचार विचार से ये नाता है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com