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विश्व में महा परिवर्तन का आरंभ वर्ष 2025 से

विश्व में महा परिवर्तन का आरंभ वर्ष 2025 से

हर हर महादेव!!

परिवर्तन संसार का नियम है। कालचक्र सदैव चलता रहता है और सुख के बाद दुख, दुख के बाद सुख धूप छांव की तरह व्यक्तिगत जीवन से लेकर विश्व स्तर पर प्राप्त होता रहता है। परिवर्तन के इसी नियम के आधार पर हम इस समय चौथे युग अर्थात् कलयुग में जीवन यापन कर रहे हैं। कलयुग बहुत ही संवेदनशील युग है। इस युग में पाप की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है। पूरी दुनिया आहिस्ता आहिस्ता संवेदना से रहित संवेदनहीन होती जा रही है। स्वार्थ की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है। इस युग में प्रायः लोग व्यक्तिगत लाभ की बात सोचते हैं। देश और समाज के बारे में अधिक विचार नहीं करते। श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अत्याचार बढ़ता है तब उसे संतुलित करने के लिए कोई ना कोई दिव्य शक्ति पृथ्वी पर अवतरित होती है और संतुलन बनाने का कार्य करती है। संतुलन बनाने में नवग्रहों की बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नवग्रहों के प्रभाव से आश्चर्यजनक परिवर्तन होता है। जन्म कुंडली का पहला घर अर्थात् पहली राशि मेष राशि को माना जाता है। जिसे काल पुरुष की राशि मानी जाती है। काल पुरुष सदैव चलायमान हैं ।यह कभी रुकते नहीं कभी थकते नहीं। काल पुरुष के चलने से ही युग परिवर्तन होता रहता है। इसी युग परिवर्तन के क्रम में हम प्रवेश करने जा रहे हैं वर्ष 2025 में। ईस्वी सन् 2025 से एक महा परिवर्तन का दौर आरंभ होगा। जो बहुत लंबे समय तक चलेगा। इस महा परिवर्तन के कारण पूरा संसार बदल जाएगा और इस परिवर्तन में मानव जाति को बेहद उथल-पुथल का सामना करना पड़ेगा। इस महा परिवर्तन में सबसे बड़ी भूमिका होगी देवगुरु बृहस्पति की और शनि देव की। ब्रह्मांड के यह दो सबसे बड़े ग्रह हमेशा से युग परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाते आ रहे हैं।

इतिहास गवाह है जब-जब देवगुरु बृहस्पति अतिचारी होकर राशि परिवर्तन किए हैं तब तब पृथ्वी पर भयानक उथल-पुथल हुआ है। महाभारत काल में भी देवगुरु बृहस्पति लंबे समय तक के लिए अतिचारी हुए थे। जिसके कारण लाशें बिछ गई थीं।भारी मात्रा में जन धन की हानि हुई थी। प्रथम विश्व युद्ध में भी देवगुरु बृहस्पति अतिचारी थे। द्वितीय विश्व युद्ध में भी देवगुरु बृहस्पति अतिचारी थे। उस समय कितनी हानि हुई थी, कितने जन धन की क्षति हुई थी यह बताने की आवश्यकता नहीं है। कुछ समय पूर्व ईस्वी सन् 2018 से 2022 तक देवगुरु बृहस्पति अतिचारी थे। हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि 2018 से 2022 तक पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी की चपेट में दहशत में जीती रही। कितने लोग मारे गए। कितनी भयानक पीड़ा सहन करनी पड़ी।

एक बार पुनः देव गुरु बृहस्पति 14 मई 2025 से अतिचारी होने जा रहे हैं। अब यहां से अगले 8 वर्षों तक अर्थात् 2033 तक देवगुरु बृहस्पति अतिचारी रहेंगे। पुनः उसके बाद वर्ष 2036 से 2043 तक अतिचारी रहेंगे। देवगुरु बृहस्पति के इस गोचर प्रभाव के कारण पूरी दुनिया में भारी उथल-पुथल मचेगी। दुनिया के कई देश तो 2033 तक और उसके बाद कई देश 2043 तक पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो देंगे। विश्व के नक्शे पर उनका नामोनिशान मिट जाएगा। इन देशों में यूरोप, पुर्तगाल, डेनमार्क, पोलैंड, ब्राज़ील, स्विट्जरलैंड, बैंकॉक, दक्षिण अमेरिका,कनाडा, U K,U S इत्यादि देश शामिल होंगे।भारतवर्ष में भी कुछ प्रांत इस उथल-पुथल के शिकार होंगे। जिनमें से महाराष्ट्र का मुंबई, दक्षिण भारत का मद्रास अर्थात् चेन्नई, गुजरात के कुछ हिस्से, उड़ीसा अर्थात् समुद्री किनारे वाले शहर तबाह होंगे। ज्योतिष ग्रन्थों की मान्यताओं के अनुसार जिस वर्ष चार या चार से अधिक ग्रहण लगते हैं उस वर्ष पृथ्वी पर भारी उथल-पुथल होती है। बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं। महाभारत काल में भी सूर्य ग्रहण का जिक्र मिलता है। जिस समय महाभारत का युद्ध चल रहा था उस समय भरी दोपहर में सूर्य ग्रहण लगा था। जिसका लाभ उठाकर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के हाथों जयद्रथ का वध करवाया था। देवगुरु बृहस्पति जब अतिचारी हों और उस वर्ष 4 से अधिक ग्रहण लग जाए तो पूरी पृथ्वी पर भयानक दुर्घटनाएं होती हैं। जिससे भारी मात्रा में जन धन की हानि होती है।

ईस्वी सन् 2020 में देवगुरु बृहस्पति अतिचारी थे, केतु के साथ युति बना रहे थे और उस वर्ष 6 ग्रहण लगे थे। जिसमें दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण थे। हम सबको अच्छी तरह से ज्ञात है की 2020 में कोरोना जैसी भयानक महामारी से पूरी दुनिया की क्या हालत थी। सन् 2021 में देवगुरु बृहस्पति अतिचारी थे और उस वर्ष चार ग्रहण लगे थे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। 2022 में भी चार ग्रहण लगे थे। दो सूर्य ग्रहण दो चंद्र ग्रहण। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति के अतिचारी और ग्रहण के प्रभाव से पूरे विश्व को भयानक दुख दर्द झेलना पड़ा था।

अब ईस्वी सन् 2025 में 4 ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। 14 मई 2025 से देवगुरु बृहस्पति अतिचारी होंगे। किंतु देवगुरु बृहस्पति और केतु की युति नहीं बन रही है‌। जिसके कारण किसी प्रकार की महामारी का योग तो नहीं बन रहा है। किंतु अतिचारी बृहस्पति और जल तत्व की राशि में बैठे हुए शनि राहु का पिशाच योग दुनिया के कई देशों को आपस में टकरा देगा। विश्व युद्ध होगा। कई देश आपस में एक दूसरे को मार कर खत्म करने की फिराक में होंगे। काफी मात्रा में जनधन की हानि होगी। भयानक हथियारों का, परमाणु बम का प्रयोग होगा। जिसके कारण मानव जीवन संकट में आ जाएगा। पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगेगी। विश्व युद्ध के साथ-साथ गृह युद्ध के कारण भी देश-विदेश में भयानक हानि होगी।

जन्म कुंडली में जब बृहस्पति और केतु एक साथ एक राशि में आकर बैठ जाते हैं तब किसी भयानक महामारी के कारण मनुष्यों की अकाल मृत्यु होती है।

29 मार्च 2025 को मीन राशि में 6 ग्रहों की युति होगी और उसी दिन शनि देव अपनी वर्तमान कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इन 6 ग्रहों की युति के कारण अप्रैल 2025 से लेकर अक्टूबर 2026 तक समुद्री किनारे बसे हुए शहरों को अधिक हानि की संभावना है। भूकंप, सुनामी, बाढ़, तूफान, ज्वालामुखी फटने, ट्रेन दुर्घटना, हवाई दुर्घटना के कारण मानव जीवन को खतरा उत्पन्न करेगा।

जल तत्व राशि में 6 ग्रहों की युति के कारण जल प्रलय की संभावना अधिक रहेगी। जन्म कुंडली में काल पुरुष की अंतिम राशि मीन राशि को माना जाता है। मीन राशि मुक्ति अथवा मोक्ष की राशि मानी जाती है। 6 ग्रहों का मीन राशि में अर्थात् मोक्ष की राशि में बैठने के कारण अब तक जो कुछ भी इस दुनिया में चला रहा है उससे मुक्ति मिलने की स्थिति बन रही है। अर्थात् जो भी छल, प्रपंच या असामाजिक गतिविधियां चल रही हैं। उन सब की मुक्ति हो जाएगी। अर्थात् उन सब का नाश हो जाएगा। जिसके कारण ऐसा प्रतीत होता कि हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं।

ईस्वी सन् 2033 में ऐसा लगेगा जैसे पूरी दुनिया ही बदल गई और हम सब मनुष्य एक नई दुनिया में पहुंच गए हैं। काफी कुछ बदल चुका होगा। मौसम परिवर्तन से लेकर, दिशा परिवर्तन तक की स्थिति बन जाएगी। ऐसा प्रतीत होगा जैसे हम सतयुग काल में प्रवेश कर गए हैं। लोगों का खान-पान, रहन-सहन का तौर तरीका सब कुछ बदल जाएगा। पुनः 2036 से लेकर 2043 तक एक और भयानक दौर आएगा। जिसमें कई बड़े बदलाव होंगे और सन् 2044 45 में ऐसा प्रतीत होगा कि सचमुच सतयुग आ गया है।

हमारे गुरुदेव गायत्री परिवार के संस्थापक परम पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने आज से 50 वर्ष पूर्व अखंड ज्योति के माध्यम से यह घोषणा की थी की सन् 2050 तक पूरी दुनिया बदल जाएगी और दुनिया में सभी धर्म कर्म का आचरण करने लगेंगे। सभी शाकाहारी हो जाएंगे। धर्म ध्वजा फहराने लगेगी।ऐसा लगेगा कि कलयुग समाप्त हो गया और हम सतयुग में पहुंच गए हैं। ग्रहों की स्थिति से बिल्कुल ऐसा ही प्रतीत होता है कि परम पूज्य गुरुदेव द्वारा की गई भविष्यवाणी अब सत्य होने जा रही है।

31 अक्टूबर 2026 को देवगुरु बृहस्पति केतु के साथ युति संबंध में होंगे और 2026 में अतिचारी बृहस्पति के साथ-साथ चार ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। यही वह समय होगा जब कोरोना जैसी अथवा कोरोना से भी अधिक भयानक कोई महामारी फैलेगी। जिसके कारण भारी मात्रा में जनधन की हानि होगी। मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा। संभव है कि उस समय पूरी दुनिया को एक बार फिर से लॉकडाउन का सामना करना पड़े। अतः हम सभी को सतर्क रहना चाहिए। ज्योतिष विद्या के माध्यम से हमें भविष्य की जानकारी मिल जाती है। जिसके कारण हम अपने भविष्य में आने वाली दुर्घटनाओं से स्वयं को बचाने की कोशिश कर सकते हैं। इस आलेख के माध्यम से मैं सभी को सतर्क करना चाहता हूं कि हमारे पास लगभग एक वर्ष 10 महीने का समय है।जिसमें हम स्वयं के लिए और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अन्न और धन इकट्ठा कर लें। जिसके कारण आने वाले समय में अक्टूबर 2026 से 2033 तक भयानक आपदा का सामना कर सकें।मुसीबत की उस घड़ी में परेशानियों से लड़ सकें।

देवगुरु बृहस्पति, शनि, केतु और राहु के प्रभाव से आश्चर्यजनक रूप से जलवायु परिवर्तन हो जाएगा।मौसम बदल जाएगा। जहां जिस प्रदेश में गर्मी पड़ती है वहां सर्दी पड़ने लगेगी। जिस प्रदेश में वर्तमान समय में सर्दी पड़ती है वहां गर्मी पड़ने लगेगी। फसलें खराब होने लगेंगी।अनाज संकट उत्पन्न हो जाएगा।



आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। यह युग वैज्ञानिक युग है। इस युग में केवल ज्योतिष ग्रंथों की मान्यताओं के आधार पर आने वाली इन सभी घटनाओं को स्वीकार करना आज की नई पीढ़ी के लिए थोड़ा मुश्किल है। जबकि हमारा ज्योतिष विज्ञान आधुनिक विज्ञान से भी उच्च स्तर का है। हमारे ऋषि महर्षि बहुत बड़े वैज्ञानिक भी थे। उन्होंने ज्योतिष ग्रंथों की रचना वैज्ञानिक आधार पर ही की थी। आज वैज्ञानिकों ने भी अपने रिसर्च में पाया कि सचमुच ऐसा ही कुछ होने वाला है। नासा के वैज्ञानिक ईस्वी सन् 1900 से ही पृथ्वी की स्थिति पर नजर रखे हुए थे। उन्हें भी अंदाजा था कि आने वाले समय में कुछ बड़ा उथल-पुथल होने वाला है। अब इस वर्ष 2024 ईस्वी में वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में आश्चर्यजनक स्थिति का आकलन किया है।

वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरीय ध्रुव बहुत ही तेजी से खिसक रहा है। पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव रूस की तरफ बढ़ रहा है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो पूरी पृथ्वी की दिशाएं बदल जाएंगी।आज का कंपास बदल जाएगा। आज जिसे हम पूरब दिशा मानते हैं। वह बदलकर उत्तर दिशा हो जाएगी। इसी कारण जलवायु परिवर्तन होगा। मौसम में भारी बदलाव आ जाएगा। जहां गर्मी पड़ती है, वहां सर्दी पड़ने लगेगी और जहां सर्दी पड़ रही है, वहां गर्मी पड़ने लगेगी। ठीक इसी प्रकार दक्षिणी ध्रुव भी बड़ी तेजी से पूरब दिशा की ओर बढ़ रहा है। चुंबकीय ध्रुव के आधार पर ही दिशाएं तय होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ईस्वी सन् 1900 में पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा था। ईस्वी सन् 2005 तक पृथ्वी का उत्तरीय चुंबकीय ध्रुव 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रूस की तरफ बढ़ रहा था। किंतु 2024 ईस्वी में पृथ्वी का उत्तरीय चुंबकीय ध्रुव 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रूस की तरफ बढ़ रहा है। पृथ्वी का उत्तरीय ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव इसी रफ्तार से खिसकती रही तो 2040 ई तक कंपास बदल जाएगा। GPS में भी गड़बड़ी पैदा हो जाएगी। उत्तर दिशा को पूरब दिशा बताएगा और पूरब दिशा को पश्चिम दिशा बताएगा।फिर कहा जा सकता है की दिशाएं पूरी तरह से बदल गईं ।चुंबकीय ध्रुव के आधार पर ही हवाई जहाज और पानी का जहाज चलता है। यदि चुंबकीय ध्रुव में परिवर्तन हो जाएगा तो इसके कारण दिशाएं बदल जाएंगी।हवाई जहाज को जिस देश में जाना था उसकी जगह किसी और देश में पहुंच जाएगा। पानी के जहाज को समुद्री मार्ग से जिस देश के लिए जाना था उसकी जगह किसी और देश में पहुंच जाएगा। तब उस समय शायद वह फिल्मी गाना सही चरितार्थ होगा जो वर्षों पूर्व एक फिल्म में किशोर कुमार ने गया था

जाना था जापान पहुंच गए चीन

आने वाले समय में ऐसा ही कुछ होने वाला है। दक्षिण ध्रुव पूरब की तरफ बढ़ रहा है। जिसके कारण आज की वर्तमान की पूरब दिशा पश्चिम दिशा में बदल जाएगी और तब एक पुरानी कहावत चरितार्थ हो जाएगी की पूरब का सूरज पश्चिम से उदय हो गया।

आने वाले वर्षों में इस प्रकार पृथ्वी पर भयानक उथल-पुथल होने वाला है। अपना और अपने परिवार का बहुत ध्यान रखें। सुरक्षित रहें। मां जगदंबा और महादेव से मैं यही प्रार्थना करता हूं की सब कुछ कुशल मंगल रहे। सभी सुखी रहें। सबका कल्याण हो।

लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन। ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
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