वर्तमान के मूल्यांकन हित, अतीत पर विचार करें,
कहाँ हुयी थी गलती हमसे, तन्हाई में विचार करें।बहुत कमाई धन दौलत, मन कभी न शान्त हुआ,
क्या खोया क्या पाया हमने, कभी बैठ विचार करें।
निज स्वार्थ में हमने अक्सर, सच्चाई को मार दिया,
कभी दबाव प्रबन्धन का था, सच्चाई को मार दिया।
अर्थ बना प्रधान, नहीं अहमियत रिश्ते नातों की,
ग़ैरों के हित अपनों से ऊपर, सच्चाई को मार दिया।
अ कीर्ति वर्द्धन
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