वक्त थोड़ा थम जा जरा
खुशियों के बादल लहराए, मन का कोना कोना भरा।आ रहा मस्त सावन सुहाना, वक्त थोड़ा थम जा जरा।
वक्त थोड़ा थम जा जरा
महक उठी हसीन वादियां, फैल रही अब हरियाली।
रिमझिम रिमझिम झड़ी बरसे, अंबर से बरसे पानी।
ओढ़ ली धरा चुनरिया, चमन लहराए होके हरा भरा।
मस्त पवन ले रहा हिलोरें, झूमा सावन ये मन मयूरा।
वक्त थोड़ा थम जा जरा
अपनों से समां महके, गीतों की लड़ियां लिख पाऊं।
हर दिल में अनुराग जगाता, संगीत सुरीला मैं गांऊ।
प्रेम के मोती बांट लू, खुशियों के दीप जला लूं जरा।
घूम लूं सारी दुनिया, पा लूं मंजिल का ठिकाना जरा।
वक्त थोड़ा थम जा जरा
भावना के बांध को फिर, थाम लूं हंस कर यहां।
महकती वादियां सुंदर, प्यारा लगे ये सारा जहां।
घट के पट खोलूं जरा मैं, देख लूं ये दुनिया जरा।
अंतर्मन की उथल-पुथल में, प्रेम का सागर भरा।
वक्त थोड़ा थम जा जरा
रमाकांत सोनी नवलगढ़ जिला झुंझुनूं राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com