Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

याद बहुत आती है हमको

याद बहुत आती है हमको

वो हंसना मुस्काना, वो भी कितना इठलाती है।
जी करता है बातें करूं, मेरे दिल को भाती है।
दिल से दिल के तार जुड़े, गीत मधुर सुनाते है।
याद बहुत आती है हमको, वो अधूरी सी बातें।

वो आंखों की बेचैनी, वो दिल से दिल का करार।
अधरों से बरसती है, जब प्रीत की मधुर फुहार।
धड़कनें संगीत सुर, लब सुरीले साज बन जाते।
याद बहुत आती है हमको, वो अधूरी सी बातें।

छुप-छुपकर मिलना शर्माना, इशारे दिखाती है।
कोरे कागज में दिल का, सारा हाल सुनाती है।
नैन ताकते रस्ता देखे, हम भी कैसे उन्हें बताते।
याद बहुत आती है हमको, वह अधूरी सी बातें।


रह रहकर ख्वाबों में आती, वो मुस्कानों की बातें।
भोली भाली सूरत में वो, खूबसूरती दिख जाती।
सात जनमों का जुड़ा रिश्ता, हम भी जान जाते।
याद बहुत आती है हमको, वो अधूरी सी बातें।


रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
 रचना स्वरचित व मौलिक है
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ