भर दे नाथ झोली मेरी
तेरे नाम लिखूं जीवन ये लिख दूं सारी सांसे।ढूंढ रहा हूं तुझको भोले शुरू करूं कहां से।
तेरा ध्यान धरूं निशदिन जपता तेरी माला।
डमरू वाले औघड़दानी नीलकंठ मतवाला।
तेरे भजन मन को भाते मंदिर जाता महादेव।
महाकाल शिव जग पालक सब देवों के देव।
तेरी पूजा भक्ति में शिव भव भय जाते भाग।
किस्मत खुल जाती है भाग्य तारे जाते जग।
हर हर भोले किरपा तेरी पाकर होऊं निहाल।
भर दे नाथ झोली मेरी शिव करदे मालामाल।
तुझसे जुड़ा नाता मेरा मैं तेरे चरणों की धूल।
सृष्टि का करतार शंकर मत जाना बाबा भूल।
एक लोटा जल तुझको अर्पण श्रद्धा है विश्वास ।
सारी दुनिया रूठ जाए शिवशंकर तुझसे आस।
तेरे भरोसे मनमौजी मतवाला होकर फिरता।
शिवशंकर का नाम जपूं तेरे चरणों में गिरता।
जहां शिवालय शिवशंकर मन वहां रम जाता।
तेरा नाम लेकर चलूं कारवां वहां बन जाता।
रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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